बिन टिकटॉक सब सून…

टिकटॉक, सोशल मीडिया पर चीनी माल के विरोध का झंडा बुलंद करने वाले भारतीय एक चीनी ऐप के फेर में इस कदर दीवाने हैं कि इसकी मोहमाया से कोई बच नहीं पा रहा.

चीन का एक वीडियो स्ट्रीमिंग ऐप है जो भारत में बहुत लोकप्रिय. इतना लोकप्रिय की यह उन लोगों के मोबाइल में भी है जिनकी शादी हो गई और उनकी भी जिनकी नहीं भी. शादीशुदा लोगों के लिए जितना अपनी बीवी की फोटो मोबाइल में रखनी जरूरी है और बिना शादीशुदा लोगों के लिए अपनी भविष्य की संभावनाओं की, फोटो हो म बो लेकिन टिकटॉक होना जरूरी सा है. यूं कह लें कि स्मार्टफोन का सोलहवां शृंगार हो गया है टिकटॉक. ये टिकटॉक है क्या बला, कुछ काम-धाम का है या बस ऐंवे ही है, कुछ भी!

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टीएनएजर्स से लेकर बुजुर्गों तक, कूलडूड से लेकर यो-यो मैन तक, पापा की परियों से लेकर नकली दातों के आसरे जीवन की बत्ती बुझने के इंतजार में बैठी औरतों तक, गांव से लेकर बड़े शहरों तक सबके बीच खासा लोकप्रिय हो गया है चीनी चूरन-टिकटॉक. चूरन इसलिए भी कहा जा सकता है कि इसके दीवाने सुबह नींद खुलने से लेकर रात को फाइनली सो जाने तक लोग के लोग इस ऐप का इस्तेमाल कर रहे हैं. टिकटॉक कहता है भारत में उसके बीस करोड़ से ज़्यादा यूज़र हैं. और ये कोई खामख्वाह का नहीं है. इस पर छोटे-छोटे विडीयो बनाकर लोग इतने पॉपुलर हो गए हैं कि स्टार हो गए हैं स्टार. फिल्मों से लेकर राजनीति में ऐसा कोई फील्ड नहीं है जहां टिकटॉक की धमक नहीं है. टिकटॉक कहां नहीं पहुंचा सकता जनाब. देश की सबसे बड़ी पार्टी का टिकट जिसके लिए लोग करोड़ो रूपए खर्च करने को तैयार रहते हैं, 20-30 साल तक पार्टी के लिए दरियां बिछाने, धरने प्रदर्शन, लाठी-डंडे खाने और जेल जाने तक से भी टिकट की जो मुराद पूरी नहीं होती, वह टिकटॉक से हो सकती है. बस आपको टिकटॉक का स्टार होना चाहिए. सच कह रहा हूं टिकटॉक की कसम.

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टिकटॉक के स्टार को उस पार्टी ने दिया है जिसके मातृसंगठन के ही एक अंग को टिकटॉक से इतनी परेशानी थी कि उसने प्रधानमंत्री तक के इसकी शिकायत की थी. खैर ये शिकायतें, विरोध आती तो चलते रहते हैं. टिकटॉक चले बाजार, विरोधी रोएं हजार. सबसे पहले बात करते हैं उस टिकटॉक स्टार की जिसके लिए टिकटॉक ने विधायक बनने के द्वार खोले हैं. उस टिकटॉक स्टार की बात इसलिए भी जरूरी हो जाती है क्योंकि उसकी लोकप्रियता ऐसी है कि प्रदेश की सत्तारूढ़ पार्टी ने उसे ऐसे शख्स को टक्कर देने के लिए उतारा है जिसके परिवार का उस राज्य की सत्ता पर सिक्का चलता रहा है. उनके पिता को उस प्रदेश की राजनीति के पर्याय की तरह कहे जाते रहे हैं. हम बात कर रहे हैं हरियाणा की. हरियाणा के अब तक के तीन सबसे लोकप्रिय लाल में से एक भजनलाल के पुत्र कुलदीप बिश्नोई की. हरियाणा की आदमपुर सीट राजस्थान बॉर्डर के नजदीक हिसार जिले में पड़ती है. 2014 में इस सीट से भजनलाल के पुत्र और हरियाणा जनहित कांग्रेस के कुलदीप बिश्नोई चुनाव जीते थे. अब कुलदीप कांग्रेस में हैं और कांग्रेस के टिकट से आदमपुर से चुनाव लड़ रहे हैं. आदमपुर सीट भजनलाल परिवार का गढ़ रही है. भजनलाल यहां से दो बार चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे थे. उसके बाद उनके बेटे कुलदीप बिश्नोई ने दो बार यहां से चुनाव जीता. कुलदीप बिश्नोई पिछली बार 47.1 फीसद वोट लेकर यहां से जीते थे. प्रदेश में सरकार बनाने वाली भाजपा ने इस सीट पर दयनीय प्रदर्शन किया था. मात्र 6.9 फीसदी वोट के साथ चौथे नंबर पर रही थी. कहने की जरूरत नहीं कि भाजपा के करण सिंह जमानत बचाने से भी कोसों दूर रह गए थे. भाजपा ने इसे प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लिया था और पांच साल तक इस सीट के लिए रणनीति बनाई. भाजपा की रणनीति का असर रहा और कुलदीप ने कांग्रेस का दामन थाम लिया ताकि अपने वोट और कांग्रेस के सम्मिलित वोट से अपना गढ़ बचा सकें. यानी दयनीय स्थिति से भाजपा अब मजबूत स्थिति में आ गई है. उसे जरूरत है तो बस थोड़े शहरी वोटों की और सोशल मीडिया में जरूरत से ज्यादा घुसे वोटों की. इसके लिए भाजपा ने दांव लगाया है एक टिकटॉक स्टार पर. सोच लीजिए टिकटॉक की कितनी दबंगई चल रही है. हाईप्रोफाइल आदमपुर विधानसभा सीट से कुलदीप बिश्नोई को घेरने के लिए टिकटॉक स्टार और पूर्व टीवी एक्ट्रेस सोनाली फोगाट भाजपा की ओर से मैदान में हैं. टिकटॉक पर सोनाली के एक-एक वीडियो को लाखों लाइक मिले हैं. इसलिए भाजपा के पास बिश्नोई को टक्कर देने के लिए इससे लोकप्रिय चेहरा कोई दूसरा न था क्योंकि सोशल मीडिया पर बिश्नोई के जितना फॉलोवर्स हैं उससे ज्यादा नए लोग तो सोनाली के साथ हर महीने जुड़ जाते हैं. हां ये अलग बात है कि सारे हिसार के ही नहीं होते पर लोकप्रियता तो है. और आपको तो पता ही है सोशल मीडिया की फितरत. वह किसी को हीरो बनाने पर आ जाए तो घरों में ठुमके लगाने वाले डब्बू जी और स्टेशन पर गाने वाली रानू मंडल रातों-रात कई स्टारों से भी ज्यादा लोकप्रिय हो जाते हैं.

कौन हैं सोनाली फोगाट?
सोनाली हरियाणवी फिल्मों में काम कर चुकी हैं. सोनाली फिलहाल हरियाणा बीजेपी की महिला मोर्चा की उपाध्यक्ष हैं. इसके अलावा वह बीजेपी की कार्यकारिणी सदस्य भी हैं. झारखंड और मध्य प्रदेश के जनजातीय इलाकों में काम कर चुकी हैं. सोनाली ने अपने टेलीविजन करियर की शुरुआत दूरदर्शन पर हरियाणवी एंकर के रूप में की 8 साल पहले की थी. उसके बाद उनको ज़ी टीवी के सीरियल ‘अम्मा’ में ब्रेक मिला. यह सीरियल भारत-पाक बंटवारे पर आधारित है.

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सोनाली के पति संजय फोगाट बीजेपी नेता थे और उनकी मौत के बाद सोनाली बीजेपी से जुड़ीं थीं. 42 साल की उम्र में संजय की मौत संदिग्ध हालात में दिसंबर 2016 में हुई थी. सोनाली की एक 7 साल की बेटी है. पिछले पांच सालों से वद हरियाणा की राजनीति में सक्रिय हैं. उन्होंने लोकसभा चुनाव में भी पार्टी के लिए प्रचार किया था. मॉडलिंग और सीरियल में भी काम कर चुकी सोनाली इंडियन हो या वेस्टर्न कपड़ें, सभी रूप में सोनाली लोगं को पसंद आती हैं.

टिकॉक की पाठशालाएं लगती हैं.
हां जी. लोकप्रियता चीज ही ऐसी है जिसे सब भुनाने में लग जाते हैं. रिसर्च फ़र्म के एनालिस्ट पॉल बर्न्स बताते हैं कि चीन से बाहर एंड्रॉइड-यूज़र्स ने अगस्त महीने में 1.1 अरब से अधिक घंटे टिकटॉक पर बिताए. अब लोग इतने घंटे टिकटॉप पर रहेंगे तो फिर वह सोने का अंडा देने वाली मुर्गी हो ही जाएगी. टिकटॉक विडियो कैसे वायरल हों इसके लिए क्लास लगती है. जिसके लिए फीस देनी होती है 7000 से पंद्रह हजार वह भी पंद्रह दिनों के कोर्स के लिए. इस क्लास की लोकप्रियता बढ़ती जा रही है. देश के बहुत से छोटे-बड़े शहरों में ये पाठशालाएं शुरू हो गई हैं. इन क्लास में आपको बताया जाता है कि वीडियो वायरल कैसे होगा? इस तरह के क्लास में अपना नाम लिखाने वाले स्टूडेंट्स को अपने पसंदीदा टिक टॉक स्टार के साथ पोर्टफोलियो शूट कराने का भी मौका दिया जाता है. इससे उनके प्रोफाइल को ज्यादा लोगों का अंटेशन मिलता है.

जितना नाम है उतना ही बदनाम भी
टिकटॉक की ताकत की बात तो हो गई. अब थोड़ा बहुत उसके विवादों की बात भी कर लेते हैं. 2018 में, टिकटॉक दुनिया में सबसे अधिक डाउनलोड किए जाने वाले ऐप में से एक था. लेकिन लोकप्रियता बढ़ने के साथ ही ये ऐप भारत में विवादों के घेरे में भी आ गया है. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े स्वदेशी जागरण मंच ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखकर आरोप लगाया था कि टिकटॉक और हेलो ऐप जैसे प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल देश-विरोधी और गै़रक़ानूनी गतिविधियों के लिए किया जा रहा है. जिसके बाद इलेक्ट्रॉनिक और आईटी मंत्रालय ने टिकटॉक और हेलो को नोटिस जारी कर 24 सवाल पूछे थे.

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टिकटॉक चीन की बड़ी टेक्नोलॉजी कंपनी बाइटडांस का ऐप है.इसके बीजिंग, बर्लिन, जकार्ता, लंदन, लॉस एंजिल्स, मास्को, मुंबई, साओ पाउलो, सियोल, शंघाई, सिंगापुर और टोक्यो में कार्यालय हैं. कंपनी का कहना है कि वो हर मामले में सरकार का सहयोग कर रही है.

एक बयान में कंपनी ने कहा कि भारत उनके लिए बड़ा मार्केट हैं और वो यहां अगले तीन साल के दौरान एक अरब डॉलर का निवेश करने की योजना बना रही है, ताकि वे टेक्नोलॉजी इन्फ्रास्ट्रक्चर खड़ा कर सके और स्थानीय समुदाय के प्रति अपनी ज़िम्मेदारी निभा सके.

एनालिस्ट पॉल बर्न्स कहते हैं कि फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के लिए ये चिंता की बात है कि टिकटॉक के यूज़र उनसे अधिक प्रतिबद्ध हैं. हालांकि टिकटॉक का एक दूसरा पहलू भी है. टिकटॉक कितना सुरक्षित प्लेटफॉर्म है, इसे लेकर चर्चा होती रही है. इसी साल अप्रैल में तमिलनाडु की एक अदालत ने मद्रास हाईकोर्ट ने इस पर बैन किया था और टिकटॉक को ऐप स्टोर से हटाने का आदेश भी दे दिया था. अदालत का कहना था कि इस ऐप के ज़रिए पोर्नोग्राफ़ी से जुड़ी सामग्री पेश की जा रही है. मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा. कुछ हफ़्तों बाद इस बैन को हटा लिया गया था.
एक पड़ताल से पता चला था कि टिकटॉक अपने उन यूज़र्स के अकाउंट बंद करने में नाकाम रहा जिन्होंने बच्चों से सेक्स संबंधी संदेशों के साथ संपर्क किया था. जबकि टिकटॉक का दावा है कि यूज़र्स के लिए सुरक्षित और सकारात्मक वातावरण उसकी शीर्ष प्राथमिकता है.

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टिकटॉक के बहाने भारत की साइबर सुरक्षा, डेटा सुरक्षा, बच्चों की सुरक्षा के महत्वपूर्ण सवाल सामने आए हैं, जिसपर सरकार को व्यवहारिक और सुसंगत नीति बनानी चाहिए. कई कानून हैं, लेकिन वो बिखरे हुए हैं. ये कानून अस्पष्ट हैंजिसकी वजह से इन कंपनियों को फायदा मिलता है. चर्च हमलों के बाद श्रीलंका ने कहा था कि इनकी ज़िम्मेदारी तय की जानी चाहिए. देखते हैं भारत में इनकी ज़िम्मेदारी कब और कैसे तय होगी.

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