
इनकम टैक्स, पहली बार भारतीयों को दो तरह के कर दरों का प्रावधान मिला है. क्या हैं ये प्रावधान और आपके लिए कौन सा है फायदेमंद, सरल शब्दों में समझें आयकर का पूरा फेर.
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने 01 फरवरी 2020 को देश का बजट पेश किया तो विभिन्न प्रावधानों पर भी चर्चा हुई लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा शुरू हुई इनकम टैक्स स्लैब्स यानी आयकर की दरों की. पिछली बार (वित्त वर्ष 2019-20) के बजट में इनकम टैक्स वाले पॉइंट पर ढाई लाख और पांच लाख को लेकर भी खूब भ्रम फैला था. ऐसा ही इस बार भी हुआ है, बल्कि इस बार तो कुछ ज्यादा ही भ्रम दिख रहा है. कारण है आयकरों में एक नया प्रावधान- दो में से एक को चुनने वाला प्रावधान. इनकम टैक्स से जुड़ी चीजों को न्यूजऑर्ब360 पर थोड़ा सरल शब्दों में समझने की कोशिश करते हैं. बात को आगे बढ़ाने से पहले बताना जरूरी है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जो नए टैक्स स्लैब का प्रस्ताव रखा है वह वैकल्पिक है. यानी जो टैक्स की दरें पहले बनी हुई थीं वह भी जारी रहेंगी साथ में यह नई दरें भी प्रभावी रहेंगी. जिसे जो पसंद चुन ले. पहले टैक्स का एक ही ऑप्शन था, अब दोनों में से एक चुनने का विकल्प मिल गया है.

पहले देखिए कि पहले वाली व्यवस्था से कितनी आय पर कितना कर था और नई वाली व्यवस्था से कितना होगा. दोनों को नीचे चार्ट से समझें-
कर योग्य आय का स्लैब (रुपये में) | आयकर की पहले से चल रही दरें | नई कर दरें |
0-2.5 लाख | छूट | छूट |
2.5-5 लाख | 5 प्रतिशत | 5 प्रतिशत |
5-7.5 लाख | 20 प्रतिशत | 10 प्रतिशत |
7.5-10 लाख | 20 प्रतिशत | 15 प्रतिशत |
10-12.5 लाख | 30 प्रतिशत | 20 प्रतिशत |
12.5-15 लाख | 30 प्रतिशत | 25 प्रतिशत |
15 लाख से ऊपर | 30 प्रतिशत | 30 प्रतिशत |
(स्रोत PIB )
इसमें ढाई से पांच लाख वाले स्लैब में 5 प्रतिशत टैक्स दिख रहा है. हालांकि, अगर आपकी करयोग्य आय 0 से 5 लाख के रेंज में है तो आपको टैक्स नहीं देना होगा क्योंकि सरकार ने पहले से यह प्रावधान किया है कि 2.5 लाख से 5 लाख तक की आय पर 12,500 की छूट दी जाएगी लेकिन इसके लिए एक शर्त यह है कि रिटर्न दाखिला करना होगा. यह व्यवस्था कार्यवाहक वित्तमंत्री के रूप में पेश बजट में पीयूष गोयल ने दी थी. लेकिन अगर आपकी सैलरी 6 लाख है तो आपको ढाई से पांच लाख की आय पर 5 प्रतिशत और उसके बाद 1 लाख पर 10 प्रतिशत टैक्स लगेगा.
अब गौर कीजिए. जब नए वाले स्लैब्स ज़्यादा फायदेमंद दिख रहे हैं तो फिर पिछले स्लैब्स को खत्म ही क्यूं नहीं कर दिया गया? विकल्प देने का क्या ही तुक? हर कोई नए हिसाब से ही टैक्स देना पसंद करेगा. इसका उत्तर है-

दिक्कत यह है कि, अगर आपको नए स्लैब के हिसाब से इनकम टैक्स देना है तो 80C, 80D, LTC, HRA जैसे कई एग्ज़म्पशन छोड़ने पड़ेंगे. इन स्थितियों में कई लोगों के लिए पिछला वाला टैक्स स्लैब फायदेमंद हो सकता है और कईयों के लिए नया वाला. एक उदाहरण से समझिए-
मान लिया कि आपकी आय 7 लाख है लेकिन आप कोई सेविंग्स नहीं करते. तो आपको इनकम टैक्स के रूप में 52,500 (12,500 + 40,000) रुपए देने पड़ेंगे पुराने वाले स्लैब्स के हिसाब से, और 32,500 (12,500 + 20,000) रुपए देने पड़ेंगे नए वाले स्लैब्स के हिसाब से. ऐसी स्थिति में आपके लिए वित्त वर्ष 2020-21 वाला स्लैब फायदेमंद होगा.
अब मानते हैं आपकी इनकम 7 लाख है लेकिन आप सैलरीड या वेतनभोगी हैं. तो 2019-20 के टैक्स स्लैब्स के हिसाब से आपका स्टैण्डर्ड डिडक्शन हो गया 50 हज़ार का. ऐसी स्थिति में आपकी टैक्सेबल आय हो गई 6.5 लाख. लेकिन आपने एक लाख बीस हज़ार का लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट किया है. तो आपकी टैक्सेबल आय हो गई 5.2 लाख. अब माना आप हर महीने 8 हज़ार रुपया घर का किराया भी देते हैं, तो आपका सालाना किराया हो गया 96 हज़ार. जिसे आप अपने एचआरए (10A) रिबेट में दिखा देंगे, और आपकी टैक्सेबल आय हो गई चार लाख 24 हज़ार, और आप आ गए शून्य से पांच लाख वाले स्लैब में. यानी पुराने वाले स्लैब्स के हिसाब से आपको कोई भी टैक्स नहीं देना पड़ेगा, जबकि 32,500 (12,500 + 20,000) रुपए देने पड़ेंगे नए वाले स्लैब्स के हिसाब से. ऐसी स्थिति में आपके लिए 2019-20 वाला स्लैब फायदेमंद होगा.
