कई धर्मों, कई देशों में होती है सरस्वती पूजा

सरस्वती पूजा, हिंदुओं के अलावा बौद्ध भी पूजते हैं मां शारदे को. बांग्लादेश, नेपाल, जापान के अलावा पाकिस्तान में होती है पूजा और किया जाता है विशेष पतंगबाजी का आयोजन. रोचक जानकारी…   

माघ मास के शुक्लपक्ष की पंचमी को वसंत पंचमी कहा जाता है. वसंत पंचमी यानी वाणी और विद्या की देवी माता सरस्वती की आराधना का दिन. अगर आपको लगता है कि माता सरस्वती की पूजा सिर्फ़ भारत में ही की जाती है तो आप गलत हैं. और यदि आप यह समझते हैं कि माता सरस्वती की पूजा केवल हिन्दू धर्म में ही होती है तो आप एक बार फिर से ग़लत हैं. आज हम आपको बताएंगे कि भारत के अलावा और कहां होती है देवी सरस्वती की पूजा और हिंदू धर्म के अलावा और किस धर्म में भी होती है.

आपको यह जानकार हैरानी की होगी कि वसंत पंचमी भारत से भी कहीं ज्यादा धूमधाम से बांग्लादेश में मनाई जाती है. बांग्लादेश का बंगाली समुदाय इसी दिन पहली बार अपने बच्चों का अक्षर संस्कार आरंभ करता है. यानी इसी दिन से किसी बच्चे का विद्यारंभ होता है. उन्हें पहली बार विधिवत कुछ लिखना-पढ़ना सिखाया जाता है.

बांग्लादेश के अलावा नेपाल और पाकिस्तान में भी सरस्वती पूजा होती है. जी आपने बिल्कुल सही सुना पाकिस्तान में भी. और आपको हैरानी में डालने वाली एक और जानकारी है कि पाकिस्तान में सरस्वती पूजा के दिन पतंगबाजी हिंदू ही नहीं मुसलमान भी करते हैं. हालांकि काफिरों की बात बताकर सरस्वती पूजा के दिन पतंगबाजी पर पिछली सरकारों ने रोक लगा दी थी लेकिन इमरान सरकार ने इसकी मंजूरी दे दी है. अब वहां सरस्वती पूजा पर फिर से पतंग उड़ाने की पुरानी परंपरा शुरू हो गई है.

इसके पीछे एक लोकप्रिय किंवदंती भी है. लाहौर की बात है. एक दिन मदरसे के मुल्ला जी किसी काम से मदरसा छोड़कर चले गये. सब बच्चे खेलने लगे, पर वीर हकीकत पढ़ते रहे. जब अन्य बच्चों ने उन्हें छेड़ा, तो उन्होंने दुर्गा मां की सौगंध दी जैसा कि उनकी माता दिया करती थीं. अब बालक को क्या पता कि यह बात दूसरे धर्म के लिए ठीक नहीं. मुस्लिम बालकों ने दुर्गा मां की हंसी उड़ाई. इस पर हकीकत ने कहा कि यदि में तुम्हारी बीबी फातिमा के बारे में कुछ कहूं, तो तुम्हें कैसा लगेगा?

बस फिर क्या था, मुल्ला जी के आते ही उन शरारती छात्रों ने शिकायत कर दी कि इसने बीबी फातिमा को गाली दी है. फिर तो बात बढ़ते हुए शहर काजी तक जा पहुंची. मुस्लिम हुकूमत में वही निर्णय हुआ, जिसकी उम्मीद थी. आदेश हुआ कि बालक हकीकत या तो मुसलमान बन जाएं, नहीं तो मृत्युदंड दिया जायेगा. वीर हकीकत ने यह स्वीकार नहीं किया. परिणामत: उन्हें तलवार के घाट उतारने का फरमान जारी हो गया.

कहते हैं उसके भोले-भाले मुखड़े को देखकर जल्लाद के हाथ से तलवार गिर गयी. वीर हकीकत ने तलवार उठाकर उसके हाथ में दी और कहा कि जब मैं बच्चा होकर अपने धर्म का पालन कर रहा हूं, तो तुम बड़े होकर अपने कर्तव्य धर्म से क्यों विमुख हो रहे हो? इस पर जल्लाद ने दिल मजबूत कर तलवार चला दी, पर उस वीर का शीश धरती पर नहीं गिरा. वह आकाशमार्ग से सीधा स्वर्ग चला गया. यह घटना वसंत पंचमी को ही हुई थी. पाकिस्तान यद्यपि मुस्लिम देश है, पर हकीकत के आकाशगामी शीश की याद में वहां वसन्त पंचमी पर पतंगें उड़ाई जाने लगीं हैं. वीर हकीकत लाहौर के थे. इसलिए पतंगबाजी का सर्वाधिक जोर लाहौर में रहा करता था.   

जापान में बौद्ध भी करते हैं सरस्वती पूजा

दरअसल, देवी सरस्वती की पूजा विभिन्न समय-काल में, विश्व की विभिन्न सभ्यताओं द्वारा अलग-अलग स्वरूपों में होती रही है. जापान में माता सरस्वती को देवी बेंजाइटन के रूप में पूजा जाता है. जापानियों की देवी बेंजाइटन को भी माता सरस्वती की भांति वीणा बजाते हुए दिखाया गया है. ऋग्वेद में देवी सरस्वती का वर्णन एक नदी के रूप में है. बाद में उन्हें विद्या की देवी के रूप में भी माना गया.

सरस्वती नदी के बारे में लिखा गया है कि वो ऐसी शक्तिशाली नदी थी, जिसकी धार पहाड़ों को चीरते हुए धरती पर आती थी. ऋग्वेद में इसका प्रमाण मिलता है कि यज्ञ वगैरह के लिए सरस्वती नदी के तट को दुनिया में सबसे शुद्ध माना जाता था. पुराणों में उन्हें सृष्टिकर्ता ब्रह्मा जी की पत्नी के रूप में दर्शाया गया है. बौद्ध धर्म में मां सरस्वती का ख़ास महत्व है. कई बौद्ध ग्रंथों का मानना है कि देवी सरस्वती की कृपा से भगवान बुद्ध को ज्ञान प्राप्ति हुई थी. बौद्ध मानते हैं कि जो भी धर्म की उपासना करता है, मां सरस्वती उनकी रक्षा करती हैं.

अगर जापान में पूजी जाने वाले देवी बेंजाइटन की बात करें तो चीन में ‘सुवर्णप्रभास सूत्र’ के स्थानीय भाषाओं में अनुवाद होने के बाद उन्हें ख्याति मिली. इसी तरह ये साहित्य जापान पहुंचा और वहां बेंजाइटन की पूजा होने लगी. उन्हें जल, विद्या, ज्ञान, समय और संगीत की देवी माना गया है. जापान में उन्हें ‘शीसीफुकूजिन’ देवों के अंतर्गत रखा जाता है. शीसीफुकूजिन अर्थात, ऐसे 7 देवी-देवता, जिनकी पूजा करना व्यक्ति को भाग्यशाली बनाता है. उन्हें बेंटेन ये बेन्ज़ाइटेन्नयो के नाम से भी जाना जाता है.

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