‘लेटर बम’ और कांग्रेस द्वारा अध्यक्ष की खोज

बहुप्रतीक्षित कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक की शुरुआत वैसे ही हुई जैसे कि कयास लगाए जा रहे थे. कांग्रेस के 23 नेताओं द्वारा लिखा गया लेटर बम फूट गया है. मीडिया के एक वर्ग में आई खबरों के मुताबिक कांग्रेस के 23 नेताओं की ओर से जो चिट्ठी लिखी गई थी उसके पीछे दो नेताओं का विशेष रूप से हाथ बताया जा रहा है कहा जाता है कि इन दोनों का
राज्यसभा का कार्यकाल खत्म हो रहा है और इसके लिए वे अन्य दलों से बातचीत कर रहे थे क्योंकि इन्हें संदेह था कि पार्टी दोबारा राज्यसभा भेजेगी. अपनी सदस्यता बरकरार रखने के लिए इन दोनों ने महाराष्ट्र में एक पार्टी से भी बात कर ली थी. इसके बाद दोनों ने दबाव बनाने के लिए सोनिया गांधी के नेतृ्त्व पर सवाल उठाने की योजना बनाई और यह ‘लेटर बम’ इसी का नतीजा है. यह भी कहा जा रहा है कि इस सारे प्रकरण के पीछे एक और राहुल गांधी द्वारा अपने पसंद के व्यक्ति को अध्यक्ष पद पर आसीन कराने से रोकना है.

कांग्रेस पार्टी के 23 वरिष्ठ नेताओं ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर संगठन में बदलाव की मांग की थी. उसी पत्र के लिए मीडिया में ‘लेटर बम’ शब्द का प्रयोग किया जा रहा है क्योंकि उस पत्र के बाद पार्टी में भूचाल आ गया है. बताया जाता है कि पत्र लिखने वालों में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और पृथ्वीराज चव्हाण, पूर्व मंत्री कपिल सिब्बल और शशि थरूर के साथ-साथ मिलिंद देवड़ा और जितिन प्रसाद जैसे युवा नेता शामिल हैं. अंतरिम अध्यक्ष को लिखे पत्र में कहा गया है कि पार्टी अपना आधार खो रही है इसलिए पार्टी को एक
‘पूर्णकालिक और प्रभावी नेतृत्‍व’ की जरूरत है जो न सिर्फ काम करता नजर आए, बल्कि असल में जमीन पर उतरकर काम करे भी. इसके लिए नेताओं ने कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्ल्यूसी) में चुनाव कराए जाने की मांग भी की थी यह चिट्ठी सार्वजनिक हो गई थी और इससे अंतरिम अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाल रही सोनिया गांधी काफी नाराज हैं. उन्होंने अपना पद छोड़ने के संकेत दिए हैं.राहुल गांधी ने चिट्ठी लिखने वाले नेताओं को लताड़ लगा दी. राहुल ने आरोप लगाया कि पत्र उस समय लिखा गया जब सोनिया अस्पताल में इलाज करा रही थीं. ऐसा लगता है पत्र लिखने वाले भाजपा से मिले हुए हैं और भाजपा को फायदा पहुंचा रहे हैं इसके बाद तो कांग्रेस के कई नेता राहुल पर खुलकर हमलावर हो गए.

पार्टी की बैठक से लेकर ट्विटर तक पर हंगामा शुरू हो गया. सबसे पहले कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने ट्विटर का सहारा लेकर राहुल गांधी के आरोपों पर पलटवार कर दिया सिब्बल ने लिखा, ‘राहुल गांधी कह रहे हैं हम भारतीय जनता पार्टी से मिले हुए हैं. मैंने राजस्थान हाईकोर्ट में कांग्रेस पार्टी का सही पक्ष रखा, मणिपुर में पार्टी को बचाया. पिछले 30 साल में ऐसा कोई बयान नहीं दिया जो किसी भी मसले पर भारतीय जनता पार्टी को फायदा पहुंचाए. फिर भी कहा जा रहा है कि हम भारतीय जनता पार्टी के साथ हैं.’ प्रमोद कृष्णन ने भी सिब्बल का समर्थन कर दिया. इनके अलावा गुलाम नबी आजाद भी नाराज हो गए और उन्होंने इस्तीफे की पेशकश कर दी. गुलाम नबी आजाद ने कहा कि अगर ऐसा समझा जा रहा है तो वे इस्तीफा दे देंगे. चिट्ठी लिखने का फैसला कार्यसमिति का था. हालांकि बाद में सिब्बल ने कहा कि राहुल ने उन्हें निजी तौर पर बताया कि उन्होंने ऐसा कुछ नहीं कहा था. इसलिए वह अपना पिछला ट्वीट वापस ले रहे हैं कांग्रेस में अध्यक्ष के लिए खींचतान चली आ रही है. पार्टी का एक धड़ा जहां गांधी परिवार से ही अध्यक्ष चाहता है तो दूसरा धड़ा परिवार से बाहर अध्यक्ष की तलाश पर जोर दे रहा है. राहुल गांधी और प्रियंका गांधी यह जिम्मेदारी लेने से इनकार भी कर चुके हैं. पिछले लोकसभा चुनाव में हार के बाद राहुल ने अध्यक्ष पर दे इस्तीफा दे दिया था. उसके बाद 1998 से लगातार पार्टी की कमान संभाल रही सोनिया गांधी को अंतरिम अध्यक्ष बनाया गया था. अंतरिम अध्यक्ष का कार्यकाल आगे बढ़ाने का अधिकार सिर्फ कार्यसमिति का होता है. देखने वाली बात है कि क्या कांग्रेस गांधी परिवार से इतर भी किसी को पार्टी का अध्यक्ष बनाएगी. पार्टी के अंदर गांधी परिवार के अलावा किसी के नाम पर सहमति बनने की कम उम्मीद देखते हुए यह मुश्किल ही दिखता है.

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