फोन में RAM का क्या माजरा है…

फोन में RAM का क्या काम है, आपके फोन को कितने RAM की जरूरत है. क्या RAM में प्रॉब्लम से ही होता है फोन हैंग? खासतौर से फोन के दीवाने युवाओं के काम की पोस्ट

फोन में RAM, आजकल देसी-विदेशी ब्रांड के नए-नए फोन लॉन्च हो रहे हैं. और सबमें दो बातों की सबसे ज्यादा चर्चा रहती है- रैम और कैमरा. डबल, ट्रिपल और क्वाड्रा यानी चार कैमरे वाले फोन भी आ गए हैं. इतने मेगापिक्सल, इतना जूम, इतना सेंसर और न जाने क्या-क्या लिखा रहता है जिसे हम आमतौर पर समझ भी नहीं पाते. कई बार तो भ्रम होने लगता है कि हम मोबाइल ही ले रहे हैं या किसी कैमरे में ही फोन कॉलर की सुविधा जोड़ दी गई है. खैर, आज हम चर्चा कैमरों पर नहीं करेंगे बल्कि उससे ज्यादा भ्रमित करने वाली एक दूसरी बात रैम पर करेंगे. 4जीबी, 6 जीबी, 8जीबी और 12 जीबी रैम की बात हो रही है. जिस लैपटॉप पर यह पोस्ट लिख रहा हूं उसका रैम 4 जीबी का है और उस पर बहुत अच्छा काम करता है. लेकिन अभी-अभी एक मोबाइल को खरीदने का मन बनाया है जिसमें 6जीबी रैम है और 15000 की कीमत में. देखकर तो बड़ा लुभावना लगता है लेकिन कई बार हम इसी खेल में ठगे जाते हैं. जब 4 जीबी रैम वाले लैपटॉप में इतना अच्छा काम हो रहा है तो फिर क्या मुझे इससे कहीं काम में आने वाले मोबाइल में वाकई 6 जीबी रैम के फोन की जरूरत है?

यह सवाल हमें अपने आप से करना चाहिए. लेकिन यह सवाल तो तभी कर पाएंगे जब हम समझेंगे कि रैम होता क्या है, इसकी जरूरत क्या है, इसका काम क्या है? आज की पोस्ट में इसी पहलू को आम बोलचाल की भाषा में समझाने की कोशिश की जाएगी.  

दुनिया में 12GB की रैम के साथ भी स्मार्टफोंस को लॉन्च किया जा चुका है. यह रैम किसी गेमिंग PC में मौजूद रैम से कहीं ज्यादा है.

RAM (रैम) क्या है?

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RAM यानी रैंडम एक्सेस मेमोरी, अल्पकालिक डिजिटल स्टोरेज है. कंप्यूटर या आपके फोन में रैम का उपयोग ज्यादातर उन डेटा को रखने के लिए किया जाता है जिनका उपयोग आपके फोन के सक्रिय एप्लिकेशन – सीपीयू और ऑपरेटिंग सिस्टम के कर्नेल के साथ- करते हैं. जैसे मान लीजिए आपने किसी ऐप को खोला और उससे पढ़ने के लिए आए तो खोलने के साथ ही डेटा सामने आ जाएगा. यह उस ऐप में मौजूद रैंडम मेमरी हो सकता है जो पहले से स्टोर है. आपको और डेटा की जरूरत होगी तो सीपीयू उसकी तैयारी कर लेता है. अब यहीं पर रैम काम आता है. 2 जीबी तक की कैश(Cache) मेमरी बहुत पर्याप्त है आपके फोन के इस्तेमाल के अच्छे अनुभव के लिए. यानी 2 जीबी रैम भी इतना कुछ स्टोर करके रख सकता है कि आपको ऐसा नहीं लगेगा कि सिस्टम स्लो है.

यह सब जटिल लगता है, और यह है, लेकिन आपको यह समझने की ज़रूरत है कि तीन बुनियादी बातें हैं: रैम थोड़े समय के लिए डेटा रखने की जगह है, और वहां रखा डेटा बहुत तेजी से पढ़ा या लिखा जा सकता है. जब आप अपना फ़ोन बंद करते हैं तो RAM में डेटा मिट जाता है.

आपके फोन को असल में कितने रैम की जरूरत है?

इसका उत्तर यह है कि बहुत कुछ आपके इस्तेमाल किए जाने वाले ऑपरेटिंग सिस्टम पर निर्भर करता है. यदि आप Android का उपयोग कर रहे हैं, तो आपके फोन को iOS से अधिक RAM की आवश्यकता होगी क्योंकि एंड्रॉइड का ऑपरेटिंग सिस्टम आईओएस की तुलना में थोड़ी अधिक मेमोरी इस्तेमाल करता है. इसी कारण कम रैम वाला आईओएस (एप्पल फोन) फोन भी एंड्रॉइड के अधिक रैम वाले फोन की बराबरी कर लेता है. और इसी वजह से एंड्रॉइड फोन निर्माता अपने स्मार्टफ़ोन में Apple की तुलना में अधिक RAM शामिल करते हैं. Samsung Galaxy S9 में आपको 4GB की रैम मिल रही है, जबकि iPhone 8 में मात्र 2GB की रैम ही मिल रही है. हालांकि अब iPhone भी कुछ ज्यादा रैम के साथ आने लगे हैं. 

 

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एंड्राइड में मात्र 4GB रैम की ही है जरूरत 

यदि आप प्रतिदिन बहुत सारे ऐप का उपयोग करते हैं, तो भी आपके RAM का उपयोग 2.5-3.5GB से अधिक नहीं होगा. यानी 4 जीबी रैम वाला स्मार्टफोन आपको दुनिया के किसी भी कोने में आपके पसंदीदा ऐप को जल्दी से खोलने में सक्षम बना देगा. असल में हम रोजमर्रा में जितना काम करते हैं, उसके लिए हमें ज्यादा रैम की जरूरत नहीं है. लेकिन जब बात स्पीड की आती है तो हमें कहीं न कहीं एक ऐसे स्मार्टफोन की तलाश होती है जो कभी भी हैंग न करता हो, तो हम ज्यादा रैम वाले स्मार्टफोन की ओर दौड़ने लग जाते हैं. हालांकि जरूरत के हिसाब से हम 4GB रैम वाले स्मार्टफोन में भी सब कुछ कर सकते हैं, इसमें गेमिंग भी बढ़िया की जा सकती है. लेकिन यहां ध्यान रखना जरूरी है कि यह उनके लिए हैं जो बहुत ज्यादा ऐप का इस्तेमाल करते हैं. जिन लोगों को रोजाना मात्र 4-5 ऐप से ही काम है तो उनके लिए 4 जीबी की भी जरूरत नहीं.

एक बात और ध्यान रखने की है कि कई बार लोगों की शिकायत रहती है कि उनका व्हॉट्सऐप हैंग कर रहा है तो इसे ज्यादा रैम की जरूरत है. बेशक रैम बढ़ा देने से आपकी परेशानी थोड़ी कम हो जाएगी लेकिन वास्तव में परेशानी रैम की नहीं है. आपने वहॉटसऐप में जरूरत से ज्यादा चीजें स्टोर कर रखी हैं उसके कारण यह समस्या आती है. आप अपने फोन से समय-समय पर फालतू की चीजें डिलिट करते रहें तो फोन का परफॉर्मेंस अच्छा रहेगा. फोन के हैंग होने और गर्म हो जाने की परेशानी भी दूर हो जाएगी.

यह बिल्कुल वैसा ही जैसे आपने अपने बैग में 1 से दो किलो फिजूल का ऐसा सामान भी रख रखा है जिसका आप महीने में शायद ही कभी उपयोग करते हैं लेकिन आप इसे बैग में भरे रखते हैं. आप जब भी बैग उठाते हैं तो बेवजह का बोझ भी लेकर चलते हैं. जाहिर वह आपको थकाएगा, आपके कंधों में दर्द पैदा करेगा. फोन का हैंग होना, बैटरी जल्दी खत्म होना और गर्म होना तीनों इससे हो सकते हैं.  

RAM और ROM के बीच क्या है अंतर?

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जब इस पोस्ट को लिखने के लिए मैं इंटरनेट पर इस बारे में जानकारियां खोज रहा था और अपने मित्रों से इसके बारे में जानने की कोशिश कर रहा था, तो पता चला कि बहुत से लोगों के बीच RAM और ROM को लेकर भ्रम है. बहुत से ऐसे लोग जो लंबे समय से स्मार्टफोन या लैपटॉप का इस्तेमाल कर रहे थे, वे इनके बारे में जानते तो थे, लेकिन उन्हें यह नहीं पता था कि दोनों के बीच में क्या अंतर है. आइये समझते हैं आखिर RAM यानी Random Access Memory और ROM यानी Read only Memory)  के बीच क्या फर्क है.

अगर हम रैम से शुरुआत करें तो आपको बता देते हैं कि यह एक ऐसी चिप होती है जो स्थाई होती है, जिसे डाटा को अपने पास सेव रखने के लिए पॉवर आदि की जरूरत होती है. इसके अलावा जैसा ही इसका कनेक्शन पॉवर से कटता है या आप लैपटॉप मोबाइल को ऑफ कर देते हैं, वैसे ही इसमें मौजूद सभी जानकारियां गायब हो जाती है. 

रोम का काम रैम से विपरीत है. यह एक ऐसी चिप है जो परिवर्तनशील नहीं होती है. अगर आप इसमें एक बार डाटा को सेव कर दें तो इसे बदला नहीं जा सकता है. यानी एक बार डाटा सेव करने के बाद उसे महज पढ़ा जा सकता है, उसे बदला नहीं जा सकता है. अंग्रेजी में इसे नॉन-वोलेटाइल स्टोरेज या मेमोरी भी कहा जाता है.

इस बड़े अंतर के अलावा भी इनके बीच में कुछ छोटे अंतर होते हैं, जिनका जिक्र यहां करना जरुरी है.

रैम को आप किसी डिवाइस में रोजमर्रा के कामों को करने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं, हालांकि इसके अलावा रोम को महज उसी समय इस्तेमाल किया जाता है, जब उस डिवाइस का निर्माण किया जा रहा होता है. 
अगर आप रोम में डाटा को सेव करना चाहते हैं तो आपको एक लम्बी प्रक्रिया से गुजरना होता है. हालांकि रैम में इसका उल्टा होता है, इसमें आप बड़ी तेजी से डाटा को सेव कर सकते हैं.

तो इस बार अगर आप फिर से कोई मोबाइल खरीदने की योजना बना रहे हों तो सबसे पहले अपनी जरूरतों को समझें और उसके आधार पर निर्णय करें कि आपको कितने जीबी रैम की जरूरत है. और यदि आपका फोन का इस्तेमाल बहुत सामान्य सा है जैसे व्हॉट्सऐप, फेसबुक और कुछ छोटे-मोटे ऐप और फिर भी फोन हैंग हो रहा है तो आपकी बहुत सी समस्या स्टोरेज से कचरा निकालकर भी सॉल्व हो सकती है. उम्मीद है आपको यह जानकारी काम की लगी होगी. चूंकि फोन एक ऐसी चीज है जो हमेशा आपके साथ रहता है इसलिए इसके बारे में छोटी-मोटी काम की जानकारियां रखनी चाहिए. अगली पोस्ट कैमरे और मेगापिक्सल के अंतर को समझने के लिए जल्द ही लेकर आएंगे.

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