सिक्योरिटी कवर की एबीसीडी

सिक्योरिटी कवर की एबीसीडी, 26 साल पहले की बात है. अप्रैल 1993 में नैनीताल के 75 वर्षीय एस.एस. जयगोविंद, जो कैंसर मरीज थे, जयपुर के प्रसिद्ध मोती डूंगरी गणेश मंदिर में दर्शन को गए थे. संयोग से उसी समय तत्कालीन राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा भी पहुंचे. आरोप लगे थे कि राष्ट्रपति की सुरक्षा में लगे गार्ड्स ने बुजुर्ग बीमार व्यक्ति का भी ख्याल न किया और उन्हें तकलीफ पहुंचाई. मामले ने इतना तूल पकड़ लिया कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को भी दखल देनी पड़ी थी. आयोग ने तो विभिन्न राज्यों को पत्र लिखकर उनसे जानकारी मांगी कि उनके राज्य में कितने ऐसे लोग हैं जिन्हें वीआईपी और वीवीआईपी के स्टेटस के साथ सुरक्षा कवर दिया गया है. और जब रिपोर्ट आई तो हंगामा और मचा. जिले में सक्रिय अखबारों के स्ट्रिंगर्स से लेकर, बिल्डर्स, अपराधी और यहां तक कि ऐसे लोग भी भारी सुरक्षा ले रहे थे जिनके परिवार पर ढाई दशक पहले कभी कोई हमला हुआ था. यहां तक कि 2014 में ब्रेन डेड घोषित किए जा चुके एक आध्यात्मिक गुरू आशुतोष महाराज और एक पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रियरंजन दास मुंशी को भी जेड सुरक्षा दी गई थी और 25 जवान तैनात रहते थे.

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सरकार की ओर से मिला सुरक्षा कवर दरअसल खतरे से ज्यादा धौंस जमाने या फिर स्टेटस सिंबल बन जाता है इसलिए अगर सरकार सुरक्षा कवर में जरा सी भी तब्दीली करती है तो तीखी प्रतिक्रिया होती है, कई बार तो जुबान पर जरूरी शालीनता का कवर भी हट जाता है. हालिया उदाहरण लालू प्रसाद यादव का है. सजायाफ्ता लालू जो कि रांची के अस्पताल में इलाज करा रहे हैं, सरकार ने उनसे जेड प्लस सुरक्षा हटाकर उसे जेड सुरक्षा में बदल दिया. इससे बौखलाए लालू के लाजवाब पुत्र तेज प्रताप यादव ने प्रधानमंत्री को धमकाते हुए कहाः मोदी की खाल खिचवा लेंगे. जेल की सजा काट रहे लालू जो अपने कमरे से बाहर भी बमुश्किल ही निकलते हैं, वह भी सुरक्षा में कटौती पर उखड़ गए. कहने की जरूरत नहीं ये अंग्रेजी के अल्फाबेट से व्यक्त किए जाने वाले सुरक्षा कवर, सुरक्षा जरूरतों से ज्यादा स्टेटस सिंबल हैं जिन पर सरकारें जनता का करोड़ो रूपया खर्च रही हैं.

कुछ साल पहले सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे से पता चलता है कि राजस्थान सरकार अपने वीवीआईपी की सुरक्षा पर 1,056 करोड़ रुपए, बिहार सरकार 492 करोड़, मध्य प्रदेश सरकार 252 करोड़, झारखंड 864 करोड़, छत्तीसगढ़ 636 करोड़ और दिल्ली सरकार ने 234 करोड़ रुपए खर्च किए.

आपको सुरक्षा कवर की इस पूरी वर्णमाला से परिचित कराते हैं.
दरअसल भारत में सुरक्षा व्यवस्था को चार कैटेगरी में रखा गया है. जेड प्लस (Z+), (उच्चतम स्तर); जेड (Z), वाई (Y) और एक्स (X) कैटेगरी. सरकार फैसला लेती है कि इन चार श्रेणियों में किसे कौन से स्तर की सुरक्षा किसी व्यक्ति को देनी है और यह निर्णय वह अपने विवेक से खतरे की संभावनाओं हिसाब-किताब लगाकर करती है. वैसे यह भी सच है कि बहुत से मामलों में यह हिसाब-किताब किसी को खुश करने या किसी की हैसियत घटाने-बढ़ाने के हठकंडे के रूप में इस्तेमाल होता है. इन सबके अलावा एक सुरक्षा और है जो सबसे ऊपर की मानी जाती है और वह है विशेष सुरक्षा दल या स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप जिसे एसपीजी के नाम से जाना जाता है.

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एसपीजी क्या है
सबसे पहले तो यह समझ लेना जरूरी है कि देश की पुलिस, पैरामिलिट्री फोर्स (आईटीबीपी, बीएसएफ, सीआरपीएफ, सीआईएसफ) के सबसे तेज-तर्रार और जाबांज जवानों को चुनकर बनाई गई एसपीजी एक हमलावर फोर्स नहीं बल्कि रक्षात्मक फोर्स है. यानी इसकी ट्रेनिंग हमले करने की नहीं बल्कि हमले की स्थिति में जान बचाने की है. यह सबसे ऊंचे स्तर की सुरक्षा है जिसे प्रधानमंत्री, पूर्व प्रधानमंत्री, उनके परिवार के सदस्यों को दी जा सकती है. एसपीजी के कमांडो एक पूरी तरह ऑटोमेटिक असॉल्ट राइफल FNF-2000 से लैस होते हैं. उनके पास छोटे हथियार के रूप में ग्लोक 17 नाम की एक पिस्टल भी होती है और अपनी सुरक्षा के लिए वे खास हल्की बुलेटप्रूफ जैकेट भी पहनते हैं. एसपीजी कमांडो के जवान आंखों पर एक विशेष चश्मा पहने रहते हैं.

1981 से पहले तक प्रधानमंत्री की सुरक्षा की जिम्मेदारी दिल्ली पुलिस के विशेष दल के जिम्मे होती थी. लेकिन उसी दस्ते के जवानों द्वारा अक्टूबर 1984 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी हत्या कर दिए जाने के बाद प्रधानमंत्री की सुरक्षा का जिम्मा एक विशेष ग्रुप को देने का फैसला हुआ. 18 फरवरी 1985 को, गृह मंत्रालय ने बीरबलनाथ कमेटी बनाई. कमेटी ने मार्च 1985 में विशेष सुरक्षा दस्ते के गठन की सिफारिश की और 8 अप्रैल, 1988 को एसपीजी अस्तित्व में आया.

पूर्व प्रधानमंत्रियों को 10 साल तक एसपीजी सुरक्षा देने का प्रावधान तो है लेकिन सरकार निर्णय को स्वतंत्र है. इसलिए 2019 में सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से यह सुरक्षा कवर हटा लिया और उन्हें जेड प्लस दिया फिलहाल सिर्फ चार लोगों- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को ही एसपीजी सुरक्षा मिली हुई है.

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Y सिक्योरिटी
यह सुरक्षा इंतजाम का तीसरा स्तर होता है. यह सिक्योरिटी उन लोगों को दी जाती है जिनकी सुरक्षा पर खतरा कम रहता है. इसमें कुल 11 सुरक्षाकर्मी शामिल होते हैं. एक या दो कमांडो तैनात होता है जो सुरक्षा प्राप्त करने वाले के करीब रहता है बाकी सुरक्षा पुलिस की होती है.

X सिक्योरिटी
इस श्रेणी में दो सुरक्षा गार्ड तैनात होते हैं. जिसमें एक पीएसओ (व्यक्तिगत सुरक्षा अधिकारी) होता है. देश में काफी लोगों को एक्स श्रेणी की सुरक्षा प्राप्त है. इस सुरक्षा में कोई कमांडो शामिल नहीं होता.

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