सुशांत सिंह राजपूत मामले में क्या महाराष्ट्र सरकार रो ‘रिया’ है?

बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत मौत मामले की जांच सीबीआइ को सौंपने का फैसला सुनाया तो भाजपा के प्रवक्ता और सांसद संबित पात्रा ने ट्वीट किया- “पहले महाराष्ट्र सरकार सो “रिया” था. फिर संजय राउत सुशांत परिवार को धो “रिया” था. अब मुंबई में सरकार रो “रिया” है. दोस्तों जल्दी ही सुनेंगे महाराष्ट्र सरकार जा “रिया” है. #महाराष्ट्र सरकार रो “रिया” है”

संबित पात्रा की टिप्पणी बताती है कि कैसे इस मामले के कारण दो पुराने दोस्तों, जो अब दुश्मन हो गए हैं, के बीच तलवारें खिचीं थीं. बिहार से लेकर महाराष्ट्र तक जितनी राजनीतिक सक्रियता इस मामले में दिखी, उतनी शायद ही किसी सेलेब्रिटी के मामले में दिखी हो.

झगड़ा सिर्फ राजनीतिक हल्कों तक सीमित नहीं था. बिहार और महाराष्ट्र की पुलिस के बीच भी तनातनी चल रही थी. बिहार के डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय ने
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर पहली टिप्पणी दी, “सुशांत सिंह राजपूत केस में अब न्याय होगा. इस फैसले से देश के लोगों का सुप्रीम कोर्ट में विश्वास बढ़ा है. मैंने इस लड़ाई को बहुत मजबूती से लड़ा है.”

इस मामले की सीबीआइ से जांच की मांग सुशांत के पिता और बिहार सरकार दोनों की तरफ से की गई थी. पटना में सुशांत के पिता के.के. सिंह द्वारा एफआईआर दर्ज कराने के बाद जब बिहार पुलिस मामले की जांच के लिए मुंबई पहुंची तो मुंबई पुलिस ने उसे सहयोग करने के बजाय, क्वारंटीन के नियमों की आड़ में एक तरह से ‘बंधक’ बना लिया.

इससे नाराज बिहार सरकार ने सीबीआइ जांच की सिफारिश कर दी. मुबई पुलिस ने इसे महाराष्ट्र का मामला बताते हुए बिहार की नीतीश सरकार और बिहार पुलिस दोनों पर राजनीति के आरोप लगाते हुए कहा कि बिहार को इसमें दखल देने का कोई अधिकार ही नहीं. और इस तरह मामला दो राज्यों के बीच की तनातनी का होने के कारण सुप्रीम कोर्ट चला गया.

कोर्ट ने आज महाराष्ट्र सरकार के दावे को खारिज करते हुए निर्देश देते हुए कहा कि मुंबई पुलिस सारे सबूत सीबीआई को आगे की जांच के लिए सौंप दे. कोर्ट की टिप्पणी थी ‘ऐसा लगता है मुंबई पुलिस जांच नहीं बस पूछताछ कर रही थी.’

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘बिहार सरकार मामले को जांच के लिए सीबीआई के पास भेजने के लिए सक्षम है और भारतीय दंड संहिता की धारा 174 (आत्महत्या की जांच) के तहत जांच कर रही मुंबई पुलिस का अधिकार क्षेत्र सीमित है. सुशांत प्रतिभाशाली अभिनेता थे. जो अपनी अभिनय क्षमता दिखाने से पहले ही दुनिया से चल बसे. उनके परिजन, दोस्त और प्रशंसक भी जांच के परिणाम की बेसब्री से प्रतीक्षा कर रहे हैं ताकि मौत को लेकर सभी तरह की अटकलों पर विराम लग जाए. इसीलिए एक निष्पक्ष जांच समय की मांग है. सुशांत के पिता के लिए भी उचित न्याय होगा जिन्होंने अपना इकलौता बेटा खोया है.’

सुशांत सिंह केस में अपने फैसले के दौरान कोर्ट ने मुंबई पुलिस को सीबीआई जांच में सहयोग करने का आदेश दिया. साथ ही कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि मुंबई पुलिस द्वारा केस से जुड़े सभी दस्तावेज समेत कई अन्य महत्वूर्ण दस्तावेज सीबीआई को सौंपे जाएंगे. इस  मामले संबंधित अगर कोई अन्य मामला भी दर्ज है तो उसकी जांच भी सीबीआई ही करेगी.

यहां कोर्ट का इशारा दिशा सालियान मौत के मामले की ओर था जिन्हें सुशांत का पूर्व बिजनेस मैनेजर बताया जाता है. दिशा की 8 जून को मुंबई में एक बहुमंजिला इमारत से
गिरने से मौत हो गई थी.

कानून के जानकारों की मानें तो महाराष्ट्र सरकार के पास अब भी सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को चुनौती देने का विकल्प खुला क्योंकि यह फैसला न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय की एकल पीठ ने सुनाया है. महाराष्ट्र सरकार चाहे तो मामले को डबल बेंच में ले जाने की अपील कर सकती है.

हालांकि इस मामले में महाराष्ट्र सरकार की पहले ही काफी किरकिरी हो चुकी है. महाराष्ट्र सरकार और मुंबई पुलिस शुरू से ही सीबीआई जांच का विरोध कर रही थी. इस घटना के तार मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के बेटे और महाराष्ट्र सरकार के मंत्री आदित्य ठाकरे से भी जोड़े जा रहे हैं. इसलिए मामला ज्यादा पेचीदा हो गया है. संबित पात्रा के ट्वीट के निशाने पर ठाकरे परिवार ही था.

कोर्ट के फैसले के बाद उद्धव सरकार घिर गई है. एनसीपी नेता और शरद पवार के पोते पार्थ पवार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ट्वीट कर लिखा, ‘सत्यमेव जयते.’ पार्थ पहले भी सुशांत केस की जांच सीबीआई को सौंपने की वकालत कर चुके हैं. पार्थ ने लिखा- ‘मुंबई पुलिस की क्षमता पर किसी को शक नहीं है लेकिन इस मामले की जांच में ढिलाई बरती जा रही थी, यह दिख रहा था. कारण सरकार जाने.’

गौरतलब है कि सुशांत सिंह राजपूत 14 जून को मुंबई के बांद्रा में अपने अपार्टमेंट में फंदे से लटके पाए गए थे.

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Warm Regards

Rajan Prakash

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