दिल्ली में विधानसभा चुनाव की घोषणा…

आठ फरवरी को होंगे चुनाव, 11 फरवरी को मतगणना. विकलांगों और बुजुर्गों के लिए किए गए हैं विशेष प्रावधान

दिल्ली विधानसभा चुनावों 2020 के कार्यक्रम की घोषणा सोमवार (6 जनवरी ) को चुनाव आयोग ने कर दी है. आगामी 8 फरवरी (शनिवार) 2020 को चुनावों होगा और 11 फरवरी (मंगलवार ) को नतीजे घोषित कर दिए जाएंगे. चुनाव की तारीखों की घोषणा के साथ ही दिल्ली में आदर्श चुनाव आचार संहिता लागू हो गई है.

मतदान प्रक्रिया के लिए 14 जनवरी को नोटिफिकेशन जारी किया जाएगा. नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख मंगलवार 21 जनवरी 2020 तय की गई हैं. आवेदनों की जांच 22 जनवरी (बुधवार) 2020 तक पूरी हो जाएगी. 24 जनवरी (शुक्रवार) तक नाम वापस लिए जा सकते हैं. मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल 22 फरवरी 2020 को खत्म हो रहा है. दिल्ली की कुल 70 विधानसभा सीटों के लिए चुनाव होंगे जिनमें से 58 सामान्य और 12 आरक्षित सीटें हैं.

8 फरवरी को होने वाले मतदान के लिए 1 करोड़ 46 लाख 92 हजार 136 वोटरों के लिए 13757 बूथ और 2689 मतदान केंद्र बनाए जाएंगे. 90,000 कमर्चारी चुनाव प्रक्रिया में जुटेंगे. यह चुनाव वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांगों के लिए खास इंतजामों के लिए भी जाना जाएगा. इसके तहत विकलांगों और 80 साल से ज्यादा उम्र के वरिष्ठ नागरिकों के पास खुद पोलिंग बूथ जाकर वोट डालने के साथ-साथ बूथ न पहुंच पाने की स्थिति में पोस्टल बैलट के जरिए मतदान करने का भी विकल्प रहेगा.

एब्सेंटी वोटर्स के लिए चुनाव आयोग ने केंद्र सरकार को सिफारिशें भेजी थीं. इस सिफारिश को मंजूर करते हुए विधि मंत्रालय ने अक्टूबर 2019 में निर्वाचन अधिनियम 1961 में संशोधन कर दिया था. इससे पहले केवल सशस्त्र बलों के जवानों और चुनाव ड्यूटी में लगे कर्मचारियों के पास ही पोस्ट बैलट की सुविधा थी.

चुनाव आयोग ने दक्षिणी दिल्ली में गायक मोहित चौहान, पूर्वी दिल्ली में पूर्व मैराथन एथलीट सुनीता गोदारा व दो जगहों पर कब्बडी खिलाड़ियों को आइकॉन बनाया है.

विधानसभा चुनाव को लेकर राजधानी में राजनीतिक दल पहले से ही तैयारी में लगे हैं. दिल्ली में इस बार भी चुनाव त्रिकोणीय होगा और आम आदमी पार्टी, बीजेपी और कांग्रेस के बीच मुकाबला होगा. राजनीतिक दलों को प्रचार के लिए मात्र दो सप्ताह का ही वक्त मिल पाएगा. नियमों के अनुसार राजधानी में फरवरी के दूसरे सप्ताह में राज्य सरकार का गठन हो जाना चाहिए.

2015 में हुए चुनावों में AAP ने विधानसभा की 70 में से 67 जीतें जीत लीं थीं. भारतीय जनता पार्टी को तीन सीटें मिली थीं जबकि 15 वर्षों तक दिल्ली पर शासन करने वाली कांग्रेस का खाता तक नहीं खुला था. दिल्ली विधानसभा में बहुमत के लिए 36 विधायकों की आवश्यकता है.

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