एक जनसेवक को कोरोना में क्या चाहिए- वर्चुअल रैली

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जनकवि अदम गोंडवी ने कहा है- एक जनसेवक को दुनिया में अदम क्या चाहिए, चार छः चमचे रहें, माइक रहे माला रहे. माइक, माला और चमचे तो हो जाएंगे पर जनता का इंतजाम कैसे हो? उसका जुगाड़ है वर्चुअल रैली. कुछ दिन पहले गृह मंत्री अमित शाह ने वर्चुअल रैली की थी और उसे बहुत सफल बताया गया. अब उस वर्चुअल रैली का प्रयोग दोहराया जा रहा है.

कोरोना की आशंका के बीच जहां विपक्षी दल, यहां तक कि एनडीए की सहयोगी लोकजनशक्ति पार्टी (लोजपा) भी, बिहार विधानसभा का चुनाव टालने की मांग कर रहे हैं तो सत्ताधारी एनडीए के जनता दल यूनाइटेड (जदयू)- भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) जैसे दल चुनाव को नीयत समय पर ही कराने पर जोर दे रहे हैं. चुनाव आयोग ने भी टालने की बातों से फिलहाल इंकार किया है.

तो ऐसे में चुनाव अक्टूबर के आखिर या नवंबर की शुरुआत में कभी भी कराए जा सकते हैं. अब चुनाव होंगे तो चुनावी सभाएं भी होंगी. पर केंद्र की एनडीए सरकार ने तो भीड़-भाड़, सभा-मीटिंग से जुड़े बहुत से प्रतिबंध लगा रखे हैं. 50 आदमी से ज्यादा एक जगह जमा नहीं हो सकते. तो क्या नेताजी बस 50 लोगों को संबोधित करेंगे? अजी क्यों भला!  उसका निकाला गया है जुगाड़.

जदयू अब अपनी पहली चुनावी वर्चुअल रैली 6 सितंबर को करने वाली है.  मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की चुनावी वर्चुअल रैली एक ऐप के जरिए होगी जिसका नाम है जनता दल यूनाइटेड लाइव.

जदयू की वर्चुअल रैली पहले 7 अगस्त को होने वाली थी, लेकिन राज्य में कोरोना महामारी के बढ़ते मामले को देखते हुए उस वक्त नीतीश कुमार की इस रैली को रद्द कर दिया गया था.

6 सितंबर को विधानसभा चुनाव को लेकर नीतीश कुमार की पहली चुनावी रैली होगी. माना जा रहा है कि इस ऐप के जरिए नीतीश कुमार बिहार में एक लाख लोगों के साथ सीधा जुड़ेंगे. 2 सितंबर को नीतीश कुमार जनता दल यूनाइटेड लाइव नाम के इस ऐप का उद्घाटन करेंगे.

नीतीश सरकार में मंत्री और जदयू के चुनाव प्रचार का दायित्व संभाल रहे संजय झा कहते हैं, “कोरोना के दौरान नीतीश कुमार ने वर्चुअल कार्यकर्ता सम्मेलन के जरिए कार्यकर्ताओं के साथ लगातार संपर्क बनाए रखा था. उसका अनुभव बहुत अच्छा रहा. अब 6 सितंबर को उस अनुभव को जनता के बीच लेकर जाया जा रहा है. सीएम वर्चुअल चुनावी रैली करेंगे. जनता दल यूनाइटेड लाइव के नाम से पार्टी का नया डिजिटल प्लेटफॉर्म तैयार हो गया है. बिहार के ही बच्चों ने पार्टी के लिए लॉकडाउन के दौरान ये ऐप तैयार किया है. फिलहाल 1 लाख लोग इस वर्चुअल रैली में जुड़ेंगे.”

कोरोना वायरस की महामारी के बीच होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर प्रचार के साधन भी अलग तरीके के रहने वाले हैं. चुनाव आयोग की ओर से जारी की गई गाइडलाइंस में प्रचार के परंपरागत तरीकों को लेकर लगाए गए तमाम कड़े नियमों को देखते हुए अब सियासी दलों ने नए तरीकों पर काम करना शुरू कर दिया है.

बिहार सरकार के मंत्री अशोक चौधरी कहते हैं, “सीएम ने राज्य के लिए इस आपदा काल में ऐतिहासिक काम किए हैं. इस वर्चुअल रैली में सीएम हालिया उपलब्धि के साथ-साथ पिछले 15 सालों के उन कामों से परिचित कराएंगे जो उन्होंने बिहार की जनता के लिए किया है. इसका ब्यौरा दिया जाएगा.”

बताया जा रहा है कि गठबंधन सहयोगी भाजपा भी चुनाव प्रचार के दौरान वोटरों तक पहुंचने के लिए ‘कमल कनेक्ट’ ऐप का इस्तेमाल करेगी. कमल कनेक्ट तैयार है जो एक लो इंटरनेट ऐप है. इसके माध्यम से इंटरनेट की कम स्पीड होने पर भी बेहतर तरीके से काम कर सकता है.

इस ऐप का बिहार जैसे राज्य में बेहतर इस्तेमाल किया जा सकता है. इस ऐप के माध्यम से भाजपा केंद्र की मोदी सरकार के कामकाज, खास तौर पर बिहार राज्य के लिए किए कार्यों और योजनाओं को इस ऐप के जरिए वोटरों तक पहुंचाने की तैयारी में है. इसके अलावा बिहार सरकार के पिछले पांच साल का कामकाज भी ऐप के माध्यम से लोगों तक पहुचांने की रणनीति है.

बिहार में सोशल मीडिया और इंटरनेट के इस्तेमाल को देखते हुए राजनीतिक पार्टियों के सामने डिजिटल माध्यम से चुनाव प्रचार में कई चुनौतियां हैं. ग्रामीण इलाकों में इंटरनेट कनेक्टिविटी की रफ्तार हर दल का सिरदर्द बढ़ा रही है. ऐसे में कमल कनेक्ट भाजपा को फायदा पहुंचाएगा.

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